शहर के बिखरते जाने से हर चीज़ ख़त्म नहीं हो जाती. अवशेष और मलबे बचे रहते हैं और नई ज़िंदगियाँ जीते रहते हैं. उनसे प्रवासियों के लिए कामचलाऊ ठिकाने बनते हैं, उनसे आंदोलनों को ताक़त मिलती है, वे आज़ादी का नारा बन जाते हैं, और इस प्रक्रिया में वे शहर की संभावनाओं में एक नई जान डालते हैं.