राम कुमार ने दशकों तक बनारस की सघनता और बरबादी को बड़े लगन से पेंट किया है. नदी के किनारे से दिखते नावों के दृश्य हों या मकानों की भीड़, उन्होंने एक्सप्रेशनिस्ट अंदाज़ में इनको उभारा. अक्सर, उनकी तस्वीरों में इंसान नहीं मिलते, लेकिन हर चीज़ पर हावी उनकी मौजूदगी बड़ी बारीक़ी से दर्ज़ की गई है.
आशा और निराशा, आस्था और भाग्य के भाव इस शहर की ख़ूबियों को एक गैरमामूली रंग में रंगते हैं, जो समय की मार और तंगहाली के बीच आज भी क़ायम है.