एक नाकाम यूटोपिया होने के बावजूद उत्तर-औपनिवेशिक शहर में अभी भी मुक्ति की थोड़ी-बहुत संभावना मौजूद है. और शायद इसी से वह आख़िरी मौक़ा भी हमें मिलता है कि हम आधुनिक पीढ़ियों ने जो गलती की थी उसे सुधार सकें, एक नई शुरुआत कर सकें. प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी और दूसरों के प्रति संवेदनशीलता और देखभाल करने की भावना में हमें इसका सुराग मिलता है कि हम समझ सकें कि कैसे शहर अपने वजूद के लिए अभी भी इंसानियत से ही उम्मीद रखता है. इसके ज़रिए क्यूरेशन टीम ने इस आयोजन को एक दिशा देने की कोशिश की है.