एक पेंटर के रूप में राम कुमार के शुरुआती वर्षों के ये धूसर रंग एक उदास परिवेश रचते हैं. 1950 के दशक में यूरोप की अपनी यात्राओं से वापसी के बाद, उन्होंने आधुनिक क्यूबिस्ट शैली में द सिटी पेंट की थी जो उनकी ख़ास पहचान बनी रही. तस्वीर में खड़ा आदमी अपने अलगाव और बदहाली का अकेला गवाह है.
अकेले स्ट्रीट लैंप, रोशन कोने और धुँधले नुक्कड़ों के बीच एक स्थिर इंसानी आकृति खड़ी है. एक व्यापक शहर के आगे उसकी छवि उसके गुमनाम अस्तित्व की निशानी है.