शहर के क़िस्से

संकट हिफ़ाज़त मुक्ति

विवान सुंदरम

मास्टर प्लान, 2012डिजिटल प्रिंट

विरोधाभासी शीर्षक वाले मास्टरप्लान में विवान सुंदरम ने उस विचार पर ही अपने काम को आगे बढ़ाया है, जिसके तहत वे ‘जमीन’ की अवधारणा और इसके साथ मानव सभ्यता के बदलते रिश्तों को दिखाने की कोशिश करते हैं. अपने ख़ास डार्क ह्यूमर के ज़रिए, वे एक डरावने भविष्य और मलबे तथा अवशेषों से बने जीवन के बीच एक तार जोड़ते हैं और इस तरह शहरीकरण की अनेक उलझनों को सुलझाने की कोशिश करते हैं.

सुंदरम की ट्रैश-सीरीज़ का यह विशाल डिजिटल प्रिंट दिल्ली के आया नगर के उनके स्टूडियो में बना था. उन्होंने कूड़े से बना हुआ यह शहर तैयार करने के लिए अनेक अपरंपरागत वस्तुएँ इस्तेमाल कीं, जिनमें ऐसा कचड़ा भी शामिल है जो प्राकृतिक तौर पर सड़ कर नष्ट नहीं होता, या जो रिसाइकल की हुई सामग्री नहीं थी. इसके बाद उन्होंने ऊपर से इसका फोटो लिया, जिससे एक वीरान, भुतहा कस्बे की तरह दिखाई देने वाला यह नक्शा तैयार हुआ है.

प्लास्टिक के कचड़े, फेंके हुए तारों, और जंग लगी कीलों को बड़े कौशल से जमा किया गया है; मलबे और अवशेष का सुंदरम का यह अभिलेख एक बर्बाद महानगर की एक विस्मयकारी लेकिन दूषित, विचारपूर्ण लेकिन मज़ाकिया तस्वीर पेश करता है. अपने अंतिम डिजिटल कोलाज में प्रिंट के कोने में टूटी हुई ईंटनुमा लेआउट से बनी एक संरचना ऐसा दृश्य रचती है मानो वे तोड़ी गई इमारतों या स्मारकों की कुर्सियाँ (प्लिंथ) हों.