कन्स्ट्रक्ट्स, 2008-15 कास्ट और वेल्ड किया हुआ स्टील
नटराज शर्मा का भव्य कन्सट्रक्ट्स (2008-15) उभरते हुए मध्य वर्ग के उन्मादी सपनों को दिखाता है, जिनके नतीजे में भारतीय शहरों में लगातार निर्माण चलता रहता है. यह इन्सटॉलेशन देखने में एक अधबनी या बनती हुई आधुनिक, ऊँची अपार्टमेंट बिल्डिंग की तरह है, जिसका काम बीच में ही रुक गया हो. यह शहरी पतन और पुनर्जन्म के कभी न ख़त्म होने वाले चक्र की कहानी है.
इसके लिए कास्ट और वेल्ड किए हुए नरम इस्पात (कम कार्बन वाले माइल्ड स्टील) जैसे मटेरियल का उपयोग किया गया है, जो मूर्तिकला में आमतौर पर उपयोग में नहीं लाया जाता. इस कलाकृति के ज़रिए इमारती निर्माण की समकालीन शहरी इकाइयों का एक ख़ाका पेश किया गया है. ये कलाकृति ख़त्म होते जा रहे प्राकृतिक संसाधनों की क़ीमत पर भी लगातार होने वाले औद्योगिकीकरण और अबाध शहरीकरण की, आधुनिकीकरण की अतियों की याद भी दिलाता है, जिसके पूरा हो जाने के बाद जो बचता है वो जंक-स्पेस है.
वेल्ड की हुई बालकनियों, अधूरी और ख़ाली खिड़कियों और सजावटी ग्रिलों की जालीदार बनावट को इस ढाँचे के फ्रेमों में ढाला गया है, जो देखने पर ग़ैरज़रूरी सजावट मालूम पड़ते हैं.