द वाटर डिवाइनर, 2008 किताबें, पानी, प्रकाश, वीडियो प्रोजेक्शन और लाइटबॉक्स
शेबा छाछी का इमर्सिव इन्सटॉलेशन द वाटर डिवाइनर पानी की सतह के नीचे का एक काल्पनिक माहौल रचता है. यह कलाकृति दिल्ली में पानी व जलाशयों की यादों को जगाती है, जिसके लिए पहले से बनी-बनाई और नई रची गई चीज़ों की मदद ली गई है. यह कलाकृति दर्शकों को भीतर आने और अपने साथ एक संवाद कायम करने के लिए बुलाती है.
द वाटर डिवाइनर इन्सटॉलेशन मूल रूप से एक विशिष्ट स्थान के लिए बना था, जिसे पुरानी दिल्ली की एक सार्वजनिक पुस्तकालय में लगाया गया था. यह लाइब्रेरी संयोग से कभी एक स्विमिंग पूल हुआ करती थी. इस जगह से जुड़ी चीज़ें और तस्वीरें समय और जगह में आने वाले बदलावों, दस्तावेज़ी (अभिलेखीय) यादों और एक सामूहिक भविष्य के बारे में बेचैनियों का पता देती हैं.
दोनों तरफ ऊँचाई तक लगे, पुरानी किताबों के ढेर के बीच में एक झरनानुमा जगह है, जिसके ज़रिए यह कृति साफ़ पानी के सोते के रूप में झरने के साथ संबंध जोड़ती है. इसमें शीशे का एक लंबा बक्सा भी है, जिसमें दिखाई गई तस्वीरों में यमुना शाहजहानाबाद/पुरानी दिल्ली की जीवनरेखा के रूप में सामने आती है. इसी में मलबे के टुकड़ों से बनते हुए हाथी की एक एनिमेटेड तस्वीर भी दिखाई गई है. प्रदर्शनी में शामिल यह कलाकृति, दबा दिए गए या भुलाए गए ज्ञान की तरफ़ ध्यान खींचती है और संकेत देती है कि कैसे सांस्कृतिक यादों पर बैठती जाने वाली गाद इंसानी संवेदनहीनता और पारिस्थितिकीय तबाही की मुख्य वजह है.